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नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और गैर जाट हो सकता है प्रदेश अध्यक्ष
कुमारी शैलजा, वरुण चौधरी व अशोक अरोड़ा अध्यक्ष पद की रेस में आगे
दलित समुदाय से वरुण चौधरी या गीता भुक्कल के नाम पर लग सकती है मोहर
अध्यक्ष पद के लिए रणदीप सुरजेवाला भी कर रहे लाबिंग
Bilkul Sateek News
गुरुग्राम (प्रदीप नरुला), 28 फरवरी। हरियाणा में निगम चुनाव के बाद कांग्रेस के संगठन में फेरबदल की तैयारी शुरू हो गई है। जहां प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पेंच फंसा हुआ है, वहीं 7 मार्च से पहले विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता की घोषणा करने की तैयारी हो रही है। सूत्रों की मानें तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष हो सकते हैं, जबकि प्रदेश अध्यक्ष का पद गैर जाट के लिए हो सकता है।
हरियाणा में बजट सत्र की शुरुआत 7 मार्च से होगी। लगभग 4 महीने से कांग्रेस पार्टी में प्रतिपक्ष के नेता की नियुक्ति को लेकर फंसा पेंच भी 7 मार्च से पहले सुलझ सकता है। माना जा रहा है कि इसको लेकर कांग्रेस संगठन में नाम फाइनल करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। सूत्रों की माने तो कुमारी शैलजा, वरुण चौधरी और अशोक अरोड़ा के नाम अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे चल रहे हैं। कांग्रेस हरियाणा के नए प्रभारी बीके हरिदास ने अध्यक्ष व प्रतिपक्ष के नेता के लिए सहमति बननी शुरू कर दी है।
अब ऐसा लगता है कि जल्द ही निगम चुनाव के बाद काफी समय से रुके हुए इन दोनों पदों पर नाम की घोषणा हो सकती है। इससे पहले उदयभान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं, दलित समुदाय से आते हैं। अगर कांग्रेस ने दलित समुदाय से प्रदेश अध्यक्ष बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी तो वरुण चौधरी या गीता भुक्कल में से एक प्रदेश अध्यक्ष हो सकता है। हालांकि पंजाबी चेहरे के नाम पर अशोक अरोड़ा के नाम की भी चर्चा है, लेकिन जिसकी संभावना थोड़ी कम लग रही है क्योंकि जिस तरह से पिछले दो चुनाव में दलित समुदाय का वोट धीरे-धीरे कांग्रेस से कम हो रहा है उसको लेकर संगठन की चिंताएं भी बढ़ रही हैं। इसी समीकरण को साधने के लिए हो सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष एक बार फिर से दलित चेहरा हो।
अगर कांग्रेस ने इसी समीकरण पर काम किया तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम की घोषणा जल्द ही नेता प्रतिपक्ष के रूप में हो सकती है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए रणदीप सुरजेवाला भी अपनी लाबिंग में लगे हैं, लेकिन जाति समीकरण के चलते उनका इस पद पर आना थोड़ा मुश्किल लग रहा है, लेकिन राजनीति है इसमें कब ऊंट किस करवट बैठ जाए पता नहीं चलता।